Honor With Achievement
यह है गोपालगंज जिले का नेचुआ जलालपुर गांव और इलाके के लब्ध प्रतिष्ठित डॉ.क्टर बाबू चंद्रमा प्रसाद गुप्त के कर्मठ पुत्र डॉ. सर्वदेव प्रसाद गुप्त व माता श्रीमती सुमित्रा देवी के घर डॉ.- अजय प्रकाश जी का स्नेहिल प्राक्टय हुआ तो चातुर्दिक खुशी का माहौल के बीच वहां के तत्कालीन पुरोहितों ने अंतःपुर के लोगों से विलक्षण प्रतिभा का घर में प्रादुर्भाव होने की शुभ बात कही जो कालांतर में सिद्ध होता जा रहा है।
शैशवावस्था की चपलता के साथ अनुराग पाकर अपने पूज्य दादा जी डॉ. चंद्रमा बाबू का सानिध्य व जनसरोकार के बीच पले-बढ़े इस बालक में सीखने की प्रवृत्ति से सभी स्तब्ध रहा करते। माता-पिता फूले नहीं समाया करते थे इनके चपल चंचलता पर। समय अब समीप आता गया जब लोगों ने सर्वप्रथम 5 वर्ष की छोटी उम्र में इनकी प्रथम मंचन देखी। ग्रामीण क्षेत्रों में शैशव अजय में छिपी कोमलता व वाक्पटुता का आनंद उठाया। पुनः आकाशवाणी केन्द्र ने भी इस बालक अजय के हाजिर-जबाबी को रेखांकित किया। समय के साथ संकल्प भी हिलोरें
भी हिलोरें तेज हो जाती हैं। अजय प्रकाश ने भी तरुणाई को सार्थक प्रयास से सफल बनाया। अपने पुरखों, समाज सेवियों तथा अन्य नीति निर्धारकों के साथ युवा मेघा मे डॉ. अजय प्रकाश ने बारीकियों को आत्मसात किया तथा सबों का आशीर्वाद प्राप्त कर एक वृहत समाज सेवी का सपना पूरा करने की राह अपना लिया। यहां भी कर्मठता से राह बनाते हुए वीर भोग्या वसुंधरा की लीक बनायी, क्योंकि बना बनाये लीक पर तो पांव वाले चलते हैं, हौसलों के उड़ान के लिए तो व्योमकेश बनना पड़ता है। ईश्वर के प्रति आस्था से मानवीय मूल्य ही धर्म बनता गया। उच्च शिक्षा के पक्षधर पिता डॉ. सर्वदेव प्रसाद गुप्त की भी यही चाहत थी कि अजय प्रकाश एक खानदानी युवक तो हैं ही, अजय जी इम्तिहानी भी बने। आपको जानकर यह खुशी होगी कि आयुर्वेद में स्नातक एवं एम ए के साथ एक्युप्रेशर विज्ञान में अव्वल दर्जे से सफलता प्राप्त करने वाले अजय जी की शैक्षिक जिज्ञासा आज भी जारी है। बिहार के इस क्षमतावान संतति में कुछ कर गुजरने की लालसा है तो वहीं जमात के बल पर मील के कई पत्थर इनकी सारगर्भित कार्यशैली को स्थापित कर सका। यही वजह रही कि डॉ. अजय प्रकाश जी 2016 सिंहस्थ कुंभ के दौरान मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा बतौर राजकीय अतिथि राज्य का मान सम्मान बढ़ाया, यही नहीं बिहार सरकार से वर्ष 2013 में सम्मानित हुए तथा कालखंड में कई पुस्तकों का सह रचनाकार भी रहे जो इनके व्यक्तित्व एवं बहुमुखी प्रतिभा को नयी ऊंचाई देता रहा। वर्तमान चिकित्सा क्षेत्र एक्युप्रेशर समेत आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की महत्ता की खास को इन्होंने रेखांकित किया है जो उपलब्धि के रुप में हमसबों के मन को गुदगुदाता रहा है। उम्र से अधिक क्षमतावान बनाया है आपने। भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद्, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार का सदस्य के रूप में चुनाव जीतना सक्षम कार्यशैली का प्रतीक है। इसी का प्रतिफल है कि शारदा विश्विद्यालय द्वारा डॉ. अजय प्रकाश जी को ट्रांस्फ़ॉर्मेशनल टीचर (परिवर्तनकारी शिक्षक) अवार्ड से सम्मानित किया गया। मेरा दायित्व है कि एक बेहतर कार्यप्रणाली, कार्यसंस्कृति तथा सुरम्य राजधानी के संकल्प को आपके आशीर्वाद से पूरा कर सकने में समर्थ हो सकुं। पटना के मेयर पद की गरिमा के अनुरूप ही आप एक सशक्त टीम का साथ दें ताकि आपके सपनों की राजधानी में केवल आप ही बसें। वचनवद्धता तथा बयान के बीच सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने से क्षितिज के कैनवास पर खूबसूरत परिदृश्य उकेर सकने में आपका यह प्रतिनिधि समर्थ होगा, यह ध्रुवसत्य है। अतः पाटलिपुत्र की गरिमा व प्रतिष्ठा को कभी भी सवालों के घेरे में नहीं आने दूंगा। कुल मिला कर नेतृत्व क्षमता को समाज में रह कर सीखा तो वहीं विभिन्न क्षेत्रों के निष्णात से नीति भी सीखी। अब डॉ. अजय प्रकाश आप सबों का सानिध्य पा कर अजेय रहना चाहते क्योंकि जिस समाज ने उन्हें समय दे कर शीर्ष स्थान दिया है, वक्त आ गया है कि समय रहते सेवा संकल्प के द्वारा समाज को लौटाने का। आयुष मंत्रालय, अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय सम्मेलन, जन शिविर, पीड़ित मानवता के लिए रोटी, कंबल, पुस्तक, वस्त्र तथा समय के अनुरूप सेवा कर आत्मवल व आत्मसुख पाया है। राज्य की राजधानी से लेकर देश की राजधानी तक का केवल अनुभव पाया है और अब आपका सानिध्य पाने निकल पड़ा हूं। मेरी लालसा केवल समाचारों की सुर्खियों में बने रहना नहीं लेकिन मैने यह भी नहीं सीखा है कि स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा से मुख मोड़ लिया जाय। धनवल तथा बाहुबल पर इतराने वाले सुन लें डॉ. अजय को केवल जनवल का भरोसा है। इस बार अजय प्रकाश का विकल्प भी अजय प्रकाश ही है। डॉक्टरी सलाह तथा सेवाएं ही हमारी निधि है। आज अपने गुरु समान पिता जी डॉ. सर्वदेव प्रसाद गुप्त के सानिध्य में, लगातार महंगी चिकित्सा पद्धति के सामने एक्युप्रेशर चिकित्सा पद्धति के माध्यम से सुलभ चिकित्सा पद्धति को मै भी विरासत मानकर, आयुष मंत्रालय के द्वारा दिये गये प्रभार को बीते समय में, आत्मसात करते हुए मान-सम्मान के साथ निभाया।
यह है गोपालगंज जिले का नेचुआ जलालपुर गांव और इलाके के लब्ध प्रतिष्ठित डॉ.क्टर बाबू चंद्रमा प्रसाद गुप्त के कर्मठ पुत्र डॉ. सर्वदेव प्रसाद गुप्त व माता श्रीमती सुमित्रा देवी के घर डॉ.- अजय प्रकाश जी का स्नेहिल प्राक्टय हुआ तो चातुर्दिक खुशी का माहौल के बीच वहां के तत्कालीन पुरोहितों ने अंतःपुर के लोगों से विलक्षण प्रतिभा का घर में प्रादुर्भाव होने की शुभ बात कही जो कालांतर में सिद्ध होता जा रहा है। शैशवावस्था की चपलता के साथ अनुराग पाकर अपने पूज्य दादा जी डॉ. चंद्रमा बाबू का सानिध्य व जनसरोकार के बीच पले-बढ़े इस बालक में सीखने की प्रवृत्ति से सभी स्तब्ध रहा करते। माता-पिता फूले नहीं समाया करते थे इनके चपल चंचलता पर। समय अब समीप आता गया जब लोगों ने सर्वप्रथम 5 वर्ष की छोटी उम्र में इनकी प्रथम मंचन देखी। ग्रामीण क्षेत्रों में शैशव अजय में छिपी कोमलता व वाक्पटुता का आनंद उठाया। पुनः आकाशवाणी केन्द्र ने भी इस बालक अजय के हाजिर-जबाबी को रेखांकित किया। समय के साथ संकल्प भी हिलोरें तेज हो जाती हैं। अजय प्रकाश ने भी तरुणाई को सार्थक प्रयास से सफल बनाया। अपने पुरखों, समाज सेवियों तथा अन्य नीति निर्धारकों के साथ युवा मेघा मे डॉ. अजय प्रकाश ने बारीकियों को आत्मसात किया तथा सबों का आशीर्वाद प्राप्त कर एक वृहत समाज सेवी का सपना पूरा करने की राह अपना लिया। यहां भी कर्मठता से राह बनाते हुए वीर भोग्या वसुंधरा की लीक बनायी, क्योंकि बना बनाये लीक पर तो पांव वाले चलते हैं, हौसलों के उड़ान के लिए तो व्योमकेश बनना पड़ता है। ईश्वर के प्रति आस्था से मानवीय मूल्य ही धर्म बनता गया। उच्च शिक्षा के पक्षधर पिता डॉ. सर्वदेव प्रसाद गुप्त की भी यही चाहत थी कि अजय प्रकाश एक खानदानी युवक तो हैं ही, अजय जी इम्तिहानी भी बने। आपको जानकर यह खुशी होगी कि आयुर्वेद में स्नातक एवं एम ए के साथ एक्युप्रेशर विज्ञान में अव्वल दर्जे से सफलता प्राप्त करने वाले अजय जी की शैक्षिक जिज्ञासा आज भी जारी है। बिहार के इस क्षमतावान संतति में कुछ कर गुजरने की लालसा है तो वहीं जमात के बल पर मील के कई पत्थर इनकी सारगर्भित कार्यशैली को स्थापित कर सका। यही वजह रही कि डॉ. अजय प्रकाश जी 2016 सिंहस्थ कुंभ के दौरान मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा बतौर राजकीय अतिथि राज्य का मान सम्मान बढ़ाया, यही नहीं बिहार सरकार से वर्ष 2013 में सम्मानित हुए तथा कालखंड में कई पुस्तकों का सह रचनाकार भी रहे जो इनके व्यक्तित्व एवं बहुमुखी प्रतिभा को नयी ऊंचाई देता रहा। वर्तमान चिकित्सा क्षेत्र एक्युप्रेशर समेत आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की महत्ता की खास को इन्होंने रेखांकित किया है जो उपलब्धि के रुप में हमसबों के मन को गुदगुदाता रहा है। उम्र से अधिक क्षमतावान बनाया है आपने। भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद्, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार का सदस्य के रूप में चुनाव जीतना सक्षम कार्यशैली का प्रतीक है। इसी का प्रतिफल है कि शारदा विश्विद्यालय द्वारा डॉ. अजय प्रकाश जी को ट्रांस्फ़ॉर्मेशनल टीचर (परिवर्तनकारी शिक्षक) अवार्ड से सम्मानित किया गया। मेरा दायित्व है कि एक बेहतर कार्यप्रणाली, कार्यसंस्कृति तथा सुरम्य राजधानी के संकल्प को आपके आशीर्वाद से पूरा कर सकने में समर्थ हो सकुं। पटना के मेयर पद की गरिमा के अनुरूप ही आप एक सशक्त टीम का साथ दें ताकि आपके सपनों की राजधानी में केवल आप ही बसें। वचनवद्धता तथा बयान के बीच सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने से क्षितिज के कैनवास पर खूबसूरत परिदृश्य उकेर सकने में आपका यह प्रतिनिधि समर्थ होगा, यह ध्रुवसत्य है। अतः पाटलिपुत्र की गरिमा व प्रतिष्ठा को कभी भी सवालों के घेरे में नहीं आने दूंगा। कुल मिला कर नेतृत्व क्षमता को समाज में रह कर सीखा तो वहीं विभिन्न क्षेत्रों के निष्णात से नीति भी सीखी। अब डॉ. अजय प्रकाश आप सबों का सानिध्य पा कर अजेय रहना चाहते क्योंकि जिस समाज ने उन्हें समय दे कर शीर्ष स्थान दिया है, वक्त आ गया है कि समय रहते सेवा संकल्प के द्वारा समाज को लौटाने का। आयुष मंत्रालय, अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय सम्मेलन, जन शिविर, पीड़ित मानवता के लिए रोटी, कंबल, पुस्तक, वस्त्र तथा समय के अनुरूप सेवा कर आत्मवल व आत्मसुख पाया है। राज्य की राजधानी से लेकर देश की राजधानी तक का केवल अनुभव पाया है और अब आपका सानिध्य पाने निकल पड़ा हूं। मेरी लालसा केवल समाचारों की सुर्खियों में बने रहना नहीं लेकिन मैने यह भी नहीं सीखा है कि स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा से मुख मोड़ लिया जाय। धनवल तथा बाहुबल पर इतराने वाले सुन लें डॉ. अजय को केवल जनवल का भरोसा है। इस बार अजय प्रकाश का विकल्प भी अजय प्रकाश ही है। डॉक्टरी सलाह तथा सेवाएं ही हमारी निधि है। आज अपने गुरु समान पिता जी डॉ. सर्वदेव प्रसाद गुप्त के सानिध्य में, लगातार महंगी चिकित्सा पद्धति के सामने एक्युप्रेशर चिकित्सा पद्धति के माध्यम से सुलभ चिकित्सा पद्धति को मै भी विरासत मानकर, आयुष मंत्रालय के द्वारा दिये गये प्रभार को बीते समय में, आत्मसात करते हुए मान-सम्मान के साथ निभाया। अजय आपका है और आपका ही बना रहेगा केवल आशीर्वाद बनाए रखें । आप सभी एक मुठ्ठी बन जांय ताकि हमें कोई हिला न सके। हमारा विश्वास अनुकरण में नहीं, अनुकरणीय होने में है । जय हिन्द…….जय बिहार
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